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हे भारत देश तुम्हे मेरा / राहुल शिवाय

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हे भारत देश तुम्हे मेरा, शत बार नमन, शत बार नमन,
तुम विश्व भाल पर चमक रहे, बनकर जैसे रोली चंदन l

हे प्रथम सभ्यता के दाता, हे मानवता के जग-नायक,
हो वेद-उपनिषद ज्ञान तुम्ही, तुम सत्य-अहिंसा के दायक,
तुमसे जग ने गिनती सीखी, दशमलव-शून्य का ज्ञान दिया,
आयुर्विद्या और योग सहित ज्योतिष का है अवदान दिया,
गुरुवाणी जैसी है वाणी, गीता जैसे हैं प्रखर वचन l

नगपति तुम्हारा शीश-मुकुट, रत्नाकर पाँव पखार रहा,
है सात नदी, नद, पर्वत वन, जग स्वर्ण-विहग स्वीकार रहा,
नानक, गौतम, श्री राम सदृश संतानों का गौरव पाकर,
चिर काल-यशश्वी देश रहे, यश रहे तुम्हारा सदा अमर,
छ:ऋतुओं का वरदान तुम्हे, हरियाली से शोभित आँगन l

तुमने यवनों को पाला है, जो आया उसको प्यार दिया,
सारे जग को अपना माना, सबको समुचित अधिकार दिया,
बहु भाषा-भाषी, बहु जाति-धर्म, पर हिंदुस्तानी रंग जहाँ,
कथकली, कुचिपुड़ी, कथक नृत्य, मंजिरी, ढोल के संग जहाँ,
हे बहु रत्नों के माला तुम्हे, अर्पित करता हूँ यह तन-मन l