भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

हे शिक्षक / धीरज पंडित

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हे शिक्षक! तोंय अगम ज्ञान के
अद्भुत श्रोत कहाबै छो।

बच्चा जब तुतराबै बोली
बाप-माय रंग धरी केॅ अँगुली
चलै के ज्ञान बताबै छो-हे शिक्षक...

प्रथम गुरु जब छोड़ै ध्यान
तबेॅ करै छो तोंय कल्याण
स्कूल में पाठ पढ़ावै छो-हे शिक्षक...

होय छै बच्चा पढ़ी जवान
एक दिन होय छै वही महान
ऐन्हो दीप जलाबै छो-हे शिक्षक

माता रंग ममता तोरो मिललै
पिता बनी जब उ फूल खिललै
कर्म के ज्ञान सिखावै छो-हे शिक्षक...

देश काल आरू ई समाज के
जग टिकलो तोरै सऽ आज के
जों सच्चा ज्ञान बताबै छो
हे शिक्षक! तोय अगम ज्ञान के
अद्भुत श्रोत कहावै छो।