Last modified on 11 मई 2019, at 00:20

हे शिव शम्भु ईश अवतारी / साँझ सुरमयी / रंजना वर्मा

हे शिव शम्भु ईश अवतारी।
महिमा है अग जग से न्यारी॥

जो भी शरण तुम्हारी आया
उस ने जीवन का फल पाया।
लोभ मोह भय कभी न व्यापे
माया ने भी नैन चुराया।

भक्ति तुम्हे रघुपति की प्यारी।
हे शिव शम्भु ईश अवतारी॥

विश्व सिन्धु है कितना खारा
जल ही जल है नहीं किनारा।
नित्य आँधियाँ ज्वार उठातीं
रहे उमड़ती भीषण धारा।

तुम ही अब रक्षक त्रिपुरारी।
हे शिव शम्भु ईश अवतारी॥

महिमा तेरी बड़ी निराली
जीवन में सुख देने वाली।
मृत्यु सदा घबराती तुमसे
तुमने सभी करवरें टाली।

सज्जन प्रिय प्रभु हे असुरारी।
है शिव शम्भु ईश अवतारी॥