Last modified on 21 अक्टूबर 2013, at 15:59

हे सिंहवासिनी देवी तुम पर लाखों परनाम / महेन्द्र मिश्र

हे सिंहवासिनी देवी तुम पर लाखों परनाम।
संकट हरनी तारन तरनी कुंउल झलके कान।
कमल लोचनी चन्द्रमुखी अब सदाकरो कल्याण। तुम पर।।
धूप दीप नैवेद्य चढ़इहों अवरो बली प्रदान।
क्षमा करा हे माँ एही अवसर दास आपनी जान।।तुमपर।।
बीना पुस्तक कर में सोहे अवरो बान कृपान।
पद्मावसनी पीताम्बर धारी मुख में सोभे पान। तुम पर।।
काम क्रोध मद लोभ सतावत याही से हैरान।
माया ठगिनी हमें लोभवे इन्हें करो जलपान।।तुम पर।।
द्विज महेन्द्र भगती वर माँगे सुनिये कृपानिधान।
जगदम्बे अम्बे गिरीनन्दनी दीजे दर्शन दान।तुम पर।।