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हैं आप मेरे साथ यही भूल न जायें / रंजना वर्मा

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हैं आप मेरे साथ यही भूल न जायें
दुश्मन है जमाना भला अब कैसे निभायें

कहने को तो कहते हैं सभी हम हैं तुम्हारे
सच कहते वही हैं जो सदा साथ निभायें

मुफ़लिस की सुने आह न फुर्सत है किसी को
देते ही रहें दर्द भरी लोग सदाएँ

हर मोड़ पे आवाज तुम्हें देते रहे हम
सुनने के लिये बात नजर भी तो मिलायें

मसले न कभी हल हैं हुए जीस्त के लेकिन
शिकवा न करें हम न कभी अश्क़ बहायें

हमने जो पिये अश्क़ नशा उसका चढ़ा है
अल्लाह करे हम न कभी होश में आयें

गिरवी हैं पड़े ख़्वाब खुशी भी न सकी मिल
भड़की जो हुई प्यास उसे कैसे बुझायें