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हैं किसी से न कुछ माँगती बेटियाँ / रंजना वर्मा

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हैं किसी से न कुछ माँगती बेटियाँ।
दर्द माँ बाप का बाँटतीं बेटियाँ॥

पंख होते नहीं किंतु आशा भरा
जगमगाता गगन चूमतीं बेटियाँ॥

राह सूझे नहीं हो अँधेरा मगर
दीप उम्मीद का बालतीं बेटियाँ॥

हर किसी के लिए नित्य उपलब्ध हो
पीर के शूल हैं बीनतीं बेटियाँ॥

अश्रु अपने सभी से छिपाती फिरें
फूल मुस्कान के बाँटतीं बेटियाँ॥

हो अभावों भरी ज़िन्दगी की डगर
किंतु परिवार हैं पालतीं बेटियाँ॥

उनके माथे कभी भी ना आती शिकन
दुख बताना नहीं जानती बेटियाँ॥