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हैं निगाहों में नज़ारे श्याम के / रंजना वर्मा

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हैं निगाहों में नजारे श्याम के।
रूप बल के पुंज सम अभिराम के॥

हर घड़ी ढूँढे उसी को ये नज़र
जाप अधरों पर उसी के नाम के॥

साँवरे बिन चैन मन पाता नहीं
काम सब विपरीत धाता वाम के॥

कौल की खातिर बना जो सारथी
पथ प्रदर्शक धर्ममय संग्राम के॥

हे प्रभो अब ज्ञान इस मन को मिले
जगत के जंजाल सब किस काम के॥