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हैरत भरी निगाह से देखा न कर मुझे / मोहम्मद इरशाद


हैरत भरी निगाह से देखा न कर मुझे
महसूस कर तू ख़ुद में सोचा न कर मुझे

काँटों में रह के खिलता हूँ मुझको तू दाद दे
अपनी गरज के वास्ते तोड़ा न कर मुझे

रहने दे मुझको यूँ ही जिस हाल में रहूँ
बीमारे-इश्क हूँ मैं अच्छा न कर मुझे

मुझको मिला जो कद ये मेरा नसीब है
अपने ख़याल में तू ओछा न कर मुझे

दिल पे जो मेरे बोझ है हो जाए कुछ तो कम
कहने दे अपना हाले-दिल रोका न कर मुझे

मेरा वजूद मुझको ‘इरशाद’ है पता
कतरा हूँ इक ज़रा सा दरिया न कर मुझे