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है आसान बनाना रिश्ता पर है कठिन निभाना / रंजना वर्मा

Kavita Kosh से
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है आसान बनाना रिश्ता लेकिन कठिन निभाना।
सोच समझकर ही रिश्ते की खातिर हाथ बढ़ाना॥

जीवन की नौका को खेना तो आसान नहीं है
आँधी तूफ़ानों मझधारों से भी है टकराना॥

सिर पर लिए याद की गठरी भटक रहे जीवन में
यत्न किया पर नहीं छूटती मुश्किल भार उठाना॥

जीवन जोगी वाला डेरा कहते चलो कहानी
किंतु कभी यह भूल न जाना प्रभु को मुख दिखलाना॥

दुख न किसी का बाँटा जग में अश्रु नहीं यदि पोंछे
कौन पंथ दिखलाये तुमको कहीं भटक मत जाना॥

लालच में पड़ लोभ मोह के पत्थर बहुत लपेटे
ये ही लगे दबाने अब तो दूभर कदम बढ़ाना॥

कदम कदम पर बढ़ते जाना रब का नाम न भूले
कर्म न करना ऐसे जिनसे हो पीछे पछताना॥