है इख़्तियार में तेरे तो मोजेज़ा कर दे
वो शख़्स मेरा नहीं है उसे मेरा कर दे
ये रेत्ज़ार कहीं ख़त्म ही नहीं होता
ज़रा सी दूर तो रस्ता हरा भरा कर दे
मैं उस के जौर को देखूँ वो मेरा सब्र-ओ-सुकूँ
मुझे चराग़ बना दे उसे हवा कर दे
अकेली शाम बहुत जी उदास करती है
किसी को भेज कोई मेरा हमनवा कर दे