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है कहानी ये तेरी सच को छुपाने वाली / पुरुषोत्तम 'यक़ीन'
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है कहानी ये तेरी सच को छुपाने वाली
बात कर दोस्त कोई दिल को दुखाने वाली
मार खा कर हमें इतना तो समझ में आया
उस ने क्या चाल चली हम को हराने वाली
आज दुनिया की तबाही पे है दुनिया तैयार
कैसी दुनिया है ये ख़ुद को ही मिटाने वाली
बंदरों को तो नचा लेते है लाठी अक्सर
अब कोई शै हो मदारी को नचाने वाली
वो अदाकारा है, सुंदर है, मगर सुन बेटे
लोग कहते हैं उसे नाचने- गाने वाली
जैसे मासूम शरारत हो किसी बच्चे की
उस की हर बात थी यूँ दिल को रिझाने वाली
कोई इस दर्जा करीब आया कि अब दिल को 'यकीन'
याद उस की न कभी छोड़ के जाने वाली