भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

है कोई जूझ समर रन गाजं / संत जूड़ीराम

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

है कोई जूझ समर रन गाजंे।
ज्ञान खरग और शब्द सेल ले मन तुरंग पर सूरत ताजै।
खेलत खेल सेल सिर बोड़त प्रेम मगन अपनी धुनि राजै।
है बल बुद्धि जुद्ध जग जीतति सुरत कमान नाम तन लाजै।
भागी फौज मौज सतगुरु की नौबद नाम दुंदभी बाजै।
जूड़ीराम दो दल का झगरा समझ विवेक चेत चित माजो।