है घर अगम सुगम गुरु गायो।
एक अखंड नाम पर पूरन चार वेद को भेद लखायो।
अगुन अनूप सगुन की लीला दो के बीच एक ठहरायो।
सुरत अडोल शब्द मत पैठी अमर लोक के हंस मिलायो।
ज्यौं रवि उदय तिमिर सब नासत ग्यान उदय सब मर्म नसायो।
ठाकुरदास मिले गुरु पूरे जूड़ीराम परम पद पायो।