Last modified on 7 सितम्बर 2020, at 11:07

है चार तरफ धूम शरारो-शर की / रमेश तन्हा

 
है चार तरफ धूम शरारो-शर की
वहशत का है माहौल, हुक़ूमत डर की
है कत्ल पे इंसान के इंसान माइल
ऐसे में भला किसे हो सुध बुध घर की।।