है जरूरी आप-सा अब नाखुदा संसार में / गिरधारी सिंह गहलोत
है जरूरी आप-सा अब नाखुदा संसार में
डूब जाने का हुनर बस जानते हम प्यार में
मंजिलें उल्फत की खोई राह पाई ही नहीं
राहबर की भी सलाहें काम आई ही नहीं
किस तरह मंजिल मिले अब आपके अधिकार में
डूब जाने का हुनर बस...
हम अकेले काट दें जीवन सफर काबिल नहीं
ले चलोगे जब जिधर अब है मेरा साहिल वहीं
मीत मेरे अब बचालो नाव है मँझधार में
डूब जाने का हुनर बस...
अब नशे में प्यार के हम इस कदर मशगूल हैं
अब किसे मालूम जीवन फूल है या शूल है
अब लुटा दो प्यार है जो आपके आगार में
डूब जाने का हुनर बस...
लौ दिये की बुझ रही है प्रीत घृत अब डाल दो
बातियों को भी सम्हालों मौत कुछ दिन टाल दो
आस का दीपक जला दो घोर इस अँधियार में
डूब जाने का हुनर बस...
है जरूरी आप-सा अब नाखुदा संसार में
डूब जाने का हुनर बस जानते हम प्यार में