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है जो टुकड़ा हमारे हिस्से में / अर्चना अर्चन

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है जो टुकड़ा हमारे हिस्से में
हम उसे आसमां बना लेंगे
दिन में निखरेंगे इंद्रधनुषी रंग
और रात तारों से सजा लेंगे

सुबह उतरेगी इसी आंगन में
अपनी पलकें जब शबनमी लेकर
अरसे की तिश्नगी को अपनी हम
ओस की बूंदों से बुझा लेंगे
है जो टुकड़ा हमारे हिस्से में
हम उसे आसमां बना लेंगे

स्याह लम्हों से शिकायत कैसी
रौशनी का ही एक सच है ये
तेरी आंखों के जुगनुओं से हम
अपनी दुनिया को जगमगा लेंगे
है जो टुकड़ा हमारे हिस्से में
हम उसे आसमां बना लेंगे