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है बहुत आसान घर दीवार करना / सूरज राय 'सूरज'

है बहुत आसान घर दीवार करना।
कर सको दीवार को परिवार करना॥

कौन समझाएगा ऐसी नस्ले-नौ को
बात न सुनना महज तक़रार करना॥

चापलूसी झूठ मक्कारी मुखौटे
आ गया हमको भी दो के चार करना॥

ग़ैर से ख़ुद के लिये जो चाहते हो
दूसरों से ख़ुद वही व्यवहार करना॥

ये नसीहत न दो बेटी को विदा में
हो न हो लेकिन ख़ता स्वीकार करना॥

ज़ुल्म होता देखना इक भीड़ बनके
ये भी तो होता है अत्याचार करना॥

दुश्मनी मंज़रू तेरी यार मुझको
हो सके तो सामने से वार करना॥

पास मेरे बैठ "सूरज" मैं सिखा दूँ
दिल-ज़हन की आग को अशआर करना॥