Last modified on 13 मई 2013, at 13:38

है वक़्त कम औ लम्बा सफ़र भागते रहो / ‘अना’ क़ासमी


है वक़्त कम औ लम्बा सफ़र भागते रहो
रस्ता दिखे जहां से जिधर भागते रहो

ठहरे अगर तो रौंद के रख देंगे लोगबाग
दुनिया जिधर को भागे उधर भागते रहो

ये ज़िन्दगी है चोर सिपाही के खेल सी
पीछे पड़े हैं सैकड़ों डर भागते रहो

बमबारियों के शहर में ठहरे तो मर गये
अपने उठा के कांधों पे घर भागते रहो

तुम कैमरे में क़ैद करो ज़िन्दगी के सच
जारी रखो ये खोज-ख़बर भागते रहो

बहती हुई नदी ने ‘अना’ मुझसे ये कहा
आंखों में लेके अज़्मे-सफ़र भागते रहो