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है सखे! पर्याप्त कारण / अनुराधा पाण्डेय
Kavita Kosh से
है सखे! पर्याप्त कारण,
तुम मुझे पागल पुकारो
सच कि तुम आते अकारण,
नित्य मेरी व्यंजना में।
नाम बिन लिक्खे तुम्हारा,
चित्त रहता यंत्रणा में।
मैं सुधर सकती नहीं अब
कोटि तुम मुझको सुधारो।
है सखे! पर्याप्त कारण,
तुम मुझे पागल पुकारो।
बुद्धि से मैं हूँ न चालित,
बस हृदय की बात कहती।
बंद नित होती भ्रमर-सी।
मै तुम्हें जलजात कहती।
बस इसी इक बात पर तुम
मत मुझे हृद से उतारो।
है सखे! पर्याप्त कारण,
तुम मुझे पागल पुकारो।
है न यह भी ज्ञात मुझको,
क्यों जुड़ी तुमसे हृदय से,
ज्ञान इतना भी न मुझको,
क्या मिला मुझको प्रणय से?
मात्र विनती है कि मेरी
साधना को यों न मारो।
है सखे! पर्याप्त कारण,
तुम मुझे पागल पुकारो।