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होड़ाहोड़ / कुंदन माली

Kavita Kosh से
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छुटपण में
जद म्हें इस्कूल जावता
पाटी सुखावता
गीत गावता-
‘‘सूख-सूख पट्टी
चन्दण गट्टी
राजा आया
म्हेल चुणया
राजा की पट्टी
सूखगी’’

थोड़ाक’ दिनां पछै
म्हारी पाटी छूटगी
राजा रा म्हेल-मालि़या
नीं छूटिया

थोडा़ क’ दिनां पछै
म्हारी पाटी सूखगी
राजा रा म्हेल-मालि़या
नीं सूखिया

थोड़ा क’दिनां पछै
म्हारी पाटी टूटगी
राजा रा म्हेल-मालि़या
नीं टूटिया

पण आज तांई
जिण अबखी घड़ी री
संका रैयी
वा घड़ी आयगीं

राजा म्हारी
टूटी-फूटी
पाटी रे पाछै
हाथ धोयनै पडियो़ है

वो चावै-
जे आ पाटी
मांडे तो बस
म्हेल मालिया मांडे

जे आ पाटी
लिखे तो फकत
लिखे म्हेल-मालि़या

जे आ पाटी
चालै तो फकत
म्हेल-मालि़या री चाल

जे आ पाटी
पूछे तो छेवट
महेल-मालि़या रा हाल

जे आ पाटी
बणै तो फकत
म्हेल-मालिया री ढाल़

जे आ पाटी
हुवै तो राजा री
नाक रो बाल

जे आ पाटी
फोड़ै तो बस
गरीब-गुरबा री खाल

पण मुस्किल
आ है क’
पाटी वालो़
आपणी टूट्योड़ी पाटी रो
साव बचियो घरम
भ्रस्ट नीं करणो चावै

राजा आपणी बात
पाटी सिवा
किण आसरे पुगावै ?

मुस्किल आ है क’
पाटी राजा री बात पे
कान इज नीं
धरणो चावे
मुस्किल आ है क’
पाटी आपणै ठौड़ सूं
हालणै नै
तैयार कोनीं

मुस्किल आ है क’
राजो नूं वै जमानै री
चाल चालणै ने
तैयार कोनीं

मुस्किल आ है क’
आज रै बखत
संभला़य दिया है
पाटी नै
घणकरा दूजा काम

पाटी जाणै
आपसी किस्मत
पाटी जाणै
आपणा काम
राजा जी रा
मालिक राम !