होती यदि मीठी रागिनी मैं किसी कोयल की
होती यदि शान्त सरिता का एक कूल मैं॥
अमरों को नित्य ही कराती मधुपान, यदि-
होती मंजु वाटिका का प्राण एक फूल मैं।
भावमयी कल्पना जो कवि की ‘चकोरी’ होती,
होती कहीं विरही के अन्तर की शूल मैं।
चूमती सप्रेम मैं तुम्हारे चरणों को नित्य,
होती प्राणनाथ! यदि मारग की धूल मैं।