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होते जब भी दंगे फसाद / सूर्यकुमार पांडेय
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होते जब भी दंगे फसाद
बढ़ता है जब आतंकवाद
उभाद करे जब घोर नाद
गांधी आते हैं बहुत याद।
घिरता है जब घनघोर तिमिर
चिंता के बादल जाते घिर
है राह कोई सूझती न फिर
जब हिंसक हो उठते विवाद
गांधी आते हैं बहुत याद।
जब संकट के पर्वत टूटे
अपने ही अपनों को लूटे
जब बढ़ते हई जाएँ झूठे
करता असत्य जब जब निनाद
गांधी आते हैं बहुत याद।