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होत आवेरो म्हारा धाम को / निमाड़ी
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♦ रचनाकार: अज्ञात
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होत आवेरो म्हारा धाम को,
गुरु न भेज्यो परवाणो
(१) हम कारज निर्माण किया,
आरे परमेश्वर को जाणु
मुल रच्यो निजधाम को
जाकर होय रे ठिकाणु...
होत आवेरा...
(२) ओ सल्ला बिहार के,
काई लावो रे बयाना
कस के कमर को जायगो
जामे साधु समाना...
होत आवेरा...
(३) बहु सागर जल रोखीयाँ,
देव जबर निसाणी
चेहरा हो देखो निहार के
काहे दल को हो धाम...
होत आवेरा...
(४) नाम शब्द को राखजो,
आरे बैकुंट को जाणु
सब संतन का सार है
चाहे होय परवाणो...
होत आवेरा...
(५) तीरुवर परवाणो कीजीये,
नही देणा रे भेद
गुरु मनरंग पहिचाणिया
मानो वचन हमारो...
होत आवेरा...