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होना ही क्या / चंद्र रेखा ढडवाल
Kavita Kosh से
पेड़ का सच
उस अमर बेल का
सच नही होता
जो उसके तने से लिपटकर
बढ़ती है
लहलहाती है
उसका बढ़ना क्या
लहलहाना क्या
असल में उसका
होना ही क्या.