भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

होना / अनिता भारती

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

अपने सपने
अपनी जान
अपने प्राण
स्पर्श कर
अपने आप को इक बार
फिर देख
औरत होना
कोई गुनाह नहीं।