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होने लगी है अब तो ग़ज़ल बात बात पर / मुज़फ़्फ़र हनफ़ी
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होने लगी है अब तो ग़ज़ल बात बात पर
गुस्सा उतारता है फ़क़ीर अपनी ज़ात पर
सेराब हो चूके हों अगर आप तो चलें
तशना लबी का उर्स मनाने फरात पर
सब दूर भागते थे जलाली बुज़ुर्ग से
मेला लगा हुआ हे मियाँ कि वफात पर
बिखरी हुई थी गर्दे तम्मन्ना चाहहर सू
डाली जो सरसरी सी नज़र कायनात पर
यूं हे कि हम ने आप को रुसवा नहीं किया
हां ख़ाक डालते रहे अपनी सिफ़ात पर
खुश है कि ग़म ज़दा हैं मुज़फ्फर ,पता नहीं
जलसे जो कर रहे थे हमारी निजात पर