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होरी के हुरियारे / रमेश तैलंग
Kavita Kosh से
होरी के मँगनारे आए, होरी के।
होरी के हुरियारे आए, होरी के।
थोड़ी लकड़ी देना जी
उपले, कंडे देना,
हुरदंगा मचाने को जी
कुछ मुस्टंडे देना,
होरी के हुरियारे आए, होरी के।
रोली-चंदन देना जी,
वस्त्र-कलावा देना,
होरी मैया के काजें, कुछ
भेंट-चढ़ावा देना,
होरी के हुरियारे आए, होरी के।
होरी में तपाने को जी
गेहूँ बाली देना,
नये धान की अपने घर से
भर-भर थाली देना,
होरी के हुरियारे आए, होरी के।