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होरी होरी कहि बोलै सब ब्रज की नारि / रसिक बिहारी
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होरी होरी कहि बोलै सब ब्रज की नारि।
नन्दगांव-बरसानो हिलि मिलि गावत इत उत रस की गारि॥
उड़त गुलाल अरुण भयो अंबर चलत रंग पिचकारि कि धारि।
'रसिकबिहारी' भानु-दुलारी नायक संग खेलें खेलवारि॥