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होली आएल / हम्मर लेहू तोहर देह / भावना

होली आएल, आके लएलक
सुन्नर फूल फुलवारी में
बिन साजन के सब हैं सूना
अई बेर के रंग रंगोली में।

चोली भीजल, चुनरी भीजल
आऊर भीजल तन-मन सब
आँख एकटक राह निहारइत
ननद-देवर बरजोरी में।

लाल-हरिहर, पीअर रंग में
डूबल रहली दिन-भर हम
आंख भीजल रहल लोर से
छाएल उदासी होली में

जेक्कर-जेक्कर साजन आएल
खिलल फूल लगइत हतन
हम्मर साजन कहके न अएलन
की रहलइ मजबूरी होली में।