होली में रंग दे / सोनरूपा विशाल
होली में रंग दे ऐसे मोहे सँवरिया
तेरे रंग में घुल जाऊँ मैं ओढूँ तेरी चुनरिया।
खेतों में सरसों फूली है
कोयल अपनी सुध भूली है
टेसू- टेसू शाम हो गयी
जैसे मय का जाम हो गई
झूम रहे हैं सब गीतों पर
डाल रहे हैं रंग मीतों पर
बिन सावन ही घिर आयी है दिशि-दिशि प्रेम-बदरिया।
होली में रंग दे...........।
प्रेम की राह हुई रपटीली
मन की चाल हुई फुर्तीली
पोर-पोर बारिश-बारिश है
मन शीतल है तन आतिश है
नटखट फगुनाहट है तन में
केवल तू ही तू है मन में
जितनी छलके, उतनी भरती जाए प्रेम गगरिया।
होली में रंग दे...........।
हाथों में लेकर पिचकारी
कर डाली मुझ पर गुलकारी
महुए की महकार हो गयी
मैं पूरा त्यौहार हो गयी
तेरी बाँहों में मैं आकर
ख़ुद को भूली तुझको पाकर
जो तुझ सँग पल बीते उन पर वारूँ सारी उमरिया।
होली में रंग दे..........।