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होली है भाई होली है / गीत गुंजन / रंजना वर्मा
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होली है भाई होली है॥
गली-गली में रंग जमाती
रंग भरे हुड़दंग मचाती।
अंग अंग में सिहरन भीने
इंद्रधनुष के रंग सजाती।
भंग तरंगित अलमस्ती में
यह मस्तों की टोली है।
होली है भाई होली है॥
सुख सागर अगणित लहरों सी
ब्रह्मा के संचित प्रहरों सी
वृद्ध हृदय यौवन तरंगमय
बस्ती थिरक रही शहरों सी।
एकाकीपन की पीड़ा हित
एनासीन की गोली है।
होली है भाई होली है॥
रंगों भरी अनोखी प्यारी
मधुर हास्य की यह किलकारी
मुख सबके लंगूरों जैसे
वस्त्र बने सतरंगी सारी।
नीलामी में स्वत्त्वों की
सर्वस्व दान की बोली है।
होली है भाई होली है॥