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होली है / मुस्कान / रंजना वर्मा
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गली गली में धूम मचाती हम बच्चों की टोली है।
होली है भई होली है॥
खूब गुलाल अबीर लिये
रंगों की शमशीर लिये।
गली सड़क पर धूम मचाती
बिखरा रही रंगोली है।
होली है भई होली है॥
रंग पड़ा बाहर अंदर
बना लिया मुख ज्यों बन्दर।
रंग नहीं तो मिट्टी ले ली
रही न खाली झोली है।
होली है भई होली है॥
गुझिया और पपड़ियाँ हैं
रंग भरी फुलझड़ियाँ हैं।
मत उदास हो कोई बच्चा
यह खुशियों की गोली है।
होली है भई होली है॥
धर्म भेद की बात नहीं
छोटी कोई जात नहीं।
एक रंग में रँग सब बोलें
एक प्रेम की बोली हैं।
होली है भई होली है॥
जलते ईर्ष्या द्वेष सभी
वैमनस्य-सन्देश सभी।
भूले सभी वैर की भाषा
मचती अजब ठिठोली है।
होली है भई होली है॥