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होवै जै प्रीत / नरेन्द्र व्यास
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होवै जे प्रीत
मिटै नीं कदै'ई
प्रीत रा पगलिया।
तपते थार में
सोरो नीं है
हळवां चालणो
पगां रिसता
फालां में
रिसै
होवै जे
अंतस प्रीत।