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हो गया दुश्वार जीना यार तू ने क्या किया / जावेद क़मर
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हो गया दुश्वार जीना यार तू ने क्या किया।
फिर नमक ज़ख़्मों पर छिङका यार तू ने क्या किया।
हो गया वीरान ये दिल बे वफ़ाई से तिरी।
अब नहीं कोई तमन्ना यार तू ने क्या किया।
दिल तुझे अपना दिया था मैंने रखने के लिए।
तू ने दिल को तोङ डाला यार तू ने क्या किया।
आज मुझ से पूछ कर मेरी उदासी का सबब।
कर दिया मेहफ़िल में रुस्वा यार तू ने क्या किया।
जब से फेरी है नज़र तूने परीशाँ हूँ बहुत।
कुछ नहीं लगता है अच्छा यार तू ने क्या किया।
मेरे क़ाबू में नहीं दिल गीत गाता है तिरे।
आँखों ही आँखों में ऐसा यार तू ने क्या किया।
कोई सूरत अब 'क़मर' का दिल लुभाती ही नहीं।
है नज़र में तेरा चेहरा यार तू ने क्या किया।