भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

हो गाड़ी वाला रे / छत्तीसगढ़ी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

हो गाड़ी वाला रे ..
पता दे जा रे, पता ले जा रे गाड़ी वाला
पता दे जा, ले जा गाड़ी वाला रे
तोर गांव के तोर काम के
तोर नाम के पता दे जा
पता ले जा रे
पता दे जा रे गाड़ी वाला
का तोर गांव के नाव दिवाना डाक खाना के पता का
नाम का थाना कछेरी के तोरे
पारा मोहल्ला पता का
को तोरे राज उत्ती बुड़ती रेलवाही पहार सड़किया
पता दे जा रे पता ले जा रे गाड़ी वाला
मया नई चिन्हे देसी बिदेसी मया के मोल न तोल
जात बिजाति न जाने रे मया, मया मयारु के बोल
काया-माया सब नाच नचावे मया के एक नजरिया
पता दे जा रे
पता ले जा रे गाड़ीवाला..
जीयत जागत रहिबे रे बैरी
भेजबे कभुले चिठिया
बिन बोले भेद खोले रोवे, जाने अजाने पिरितिया
बिन बरसे उमड़े घुमड़े ,जीव मया के बैरी बदरिया
पता दे जा रे
पता ले जारे गाड़ी वाला ...
पता दे जा, ले जा गाड़ी वाला रे
तोर गांव के तोर काम के
तोर नाम के पता दे जा
हो गाड़ी वाला रे ..