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हो जाने दो प्यार प्रिये / सुरजीत मान जलईया सिंह
Kavita Kosh से
मत रोको खुद को तुम इतना
हो जाने दो प्यार प्रिये
सारे बन्धन तोडूंगा मैं
आगे बढ तुम हाथ थमाना
दुनियाँ चाहे जितना रोके
तुम अपना अधिकार जताना
फिर अपने इस प्रेम के आगे
हारेगा संसार प्रिये
मत रोको खुद को तुम इतना
हो जाने दो प्यार प्रिये
हर दिन लिख कर कर डालुंगा
चाहत का इतिहास तुझे
अपनी सासों से भी ज्यादा
रख लेना तुम पास मुझे
भव सागर से हो जायेगें
हम दोनों फिर पार प्रिये
मत रोको खुद को तुम इतना
हो जाने दो प्यार प्रिये
मेरी खातिर इक दिन ठहरो
मुझको गंगाजल कर दो
सारी तपिश मिटा दो मन की
सागर सा शीतल कर दो
होठों से छूकर के मुझको
कर दो गीता सार प्रिये
मत रोको खुद को तुम इतना
हो जाने दो प्यार प्रिये