भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
हो समर्पण / सुरेश कुमार शुक्ल 'संदेश'
Kavita Kosh से
लक्ष्य बस एक हो।
भावना नेक हो।
हो समर्पण सहज,
राम की टेक हो,
आत्म संयम जगे
दूर अविवेक हो।
भक्ति का भाव हो
भक्त अभिषेक हो।
सत्य हो उल्लसित,
प्रेम अतिरेक हो।