भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
हौंसला / हरीश करमचंदाणी
Kavita Kosh से
बड़ा बहुत बड़ा था वह काम
बड़ा बहुत बड़ा था उसका हौंसला
बड़ा बहुत बड़ा था उन दोनों के बीच
बाधाओं का पहाड़
पर इससे क्या
पहाड़ तो होते ही हैं पार करने के लिए