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हौसला है तो वार कर / राजकुमार कुंभज
Kavita Kosh से
हरा है, भरा है
दर्द, सिर से कंधों तक
कंधों से घुटनों तक खरा है
हौसला है तो वार कर
प्रतिकार कर, धिक्कार कर
मुश्किलों को पार कर
बकबक मत बेकार कर
वर्ना यह ज़िन्दगी
ज़िन्दगी भर बर्दाश्त कर
चीत्कार मत बार-बार कर
और नहीं तो, प्यारे मियाँ आवारा !
घुट-घुटकर मर
हरा है, भरा है
दर्द, सिर से कंधों तक,
कंधों से घुटनों तक है
हौसला है तो वार कर