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हौसला हो तो फिर कमन्द भी हो / रोशन लाल 'रौशन'

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हौसला हो तो फिर कमन्द भी हो
फिर शिखर चाहे सर बुलन्द भी हो

शब्द के साथ-साथ छन्द भी हो
शेर का कथ्य मन-पसन्द भी हो

ज़िन्दगी का सफ़र ज़रूरत पर
तेज़ रफ़्तार भी हो मंद भी हो

ऐसे क़ातिल का क्या करे कोई
सख़्त ज़ालिम भी दर्दमन्द भी हो