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हौसला / मधुछन्दा चक्रवर्ती
Kavita Kosh से
मुझे थोड़ी-सी जमीन दे दो
ख़्वाबों के घर बनाने के लिए,
मुझे थोड़ा-सा आसमां दे दो
पंख लगाकर उड़ने के लिए,
थोड़ा-सा भरोसा रखो मुझ पर
मेरे साथ ज़िन्दगी जीने के लिए
गर न हो सके यकीं मुझ पर
न छोड़ना मेरा साथ फिर भी तुम
वरना बह जाएंगे सारे अरमां
पानी बनकर आँखों के रास्ते।
मुझे थोड़ी-सी आग,
थोड़ी-सी हवा दे दो
ख़्वाबों के गुब्बारे रंग-बिरंगे उड़ाने हैं,
तुम्हारे आसमां के लिए।