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हौ अस्सी मन के हौ डंटा टांगल / मैथिली लोकगीत

मैथिली लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

हौ अस्सी मन के हौ डंटा टांगल
हा लकड़ी उठा के डंटामे गारैय
एक बेर बिगुल राजा हौ बजाबैछै
हा चौदह कोश के हौ रैतीप्रजा
सभ जमा ड्योढ़ीमे भऽ गेल
आ बेटा करणसिंह बड़ कहबैका
सात सय पाठा करणसिंह खेलबैय
कंचनपुर बड़ नठिया गार लैय
तीन सय तीन डंड खींचैय देवता
हा सात सय हौ पाठा करणसिंह खेलबैय
गदमद हँसेरिया मोरंग राजमे करैय यौ।।
सुनऽ सुनऽ हो राजा दरबी
किय कारण की भऽ गेलै
मोरंगमे जे डंका पड़ि गेलऽ
लेकर हलतिया हमरा कहि दऽ
कोन दुश्मन ड्योढ़ीमे एलै
घेर कऽ दुश्मन के मारि देबै
आ राज भरमे हड्डी ओकर गला देबै हौ।।