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हौ एतेक बात नरूपिया कहैय / मैथिली लोकगीत

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मैथिली लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

हौ एतेक बात नरूपिया कहैय
हा तहि समय नरूपिया देवता
कमल फूल नरूपिया बनल छै
हा सात सय हँसेरी पोखरिमे जुमि गेल
हा चारू भर से हँसेरी घेरलकै
असगर रानी पोखरिमे बैठल
भाला बरछी पोखरिमे मारै छै
लह लह लह लह कमल फूल करैय
एको नइ भाला कमल फूल लगै छै
एको नइ रूइयाँ भगन देवता के होइ छै यौ।
हौ सात सय बरछी पोखरिमे मारै छै
हा तइयो ने देवता पाता पाबैय
मनेमे बिचार आइ राजा करैछै
सुन सुनलय बौआ हँसेरीया
भागल जइयौ मलखलबामे
सात सय हड्डी गाड़ी पर लाबि कय
परबा पोखरिमे हड्डी गिरा दे
हौ बाभन हेतै जतिया जेतै
देवता हेतै नाशभऽ भेजै
जखनी हड्डी पोखरिमे दयबै
तखनी चोरबा पोखरिमे हेतै
कोन कोनसार चोरबा भगलै
तखनी मारि बनिसार बौआ दऽ देबै हौऽऽ।।
आ सात सय गाड़िया
कल्हुआ-मल्हुआ हड्डी लाबि लेलकै यौ।
सभटा हड्डी पोखरिमे गिराबैय
हाय नारायण हाय नारायण
हाय ईसबर जी जुलुम बीतलै
जुलुम हेतै राज महिसौथा
नाम हँसी हमरा होयतै
केना के धरमुआ नरूपिया के बचतै यौ
हौ एत्तेक बात नरूपिया रटैय
हा पूर्वा-पछिया हवा लगैय
बिना हवा के हवा बहि गेल
हौ फुल रूप आइ दहमे चलैय
हा पवन रूपमे देवता उड़ि गेल
घाट पछवारी से भरलै
पछमीये दिस नरूपिया देवता भागि गेलै यौ।।
कुछ दूर जाकऽ ऊपर मेे गेलैय
बराहमन रूप नरूपिया भयलै
पोथी-पुरान काँख तर घयलै
हा एको नइ चोर नै राजा के भेटलै
तब विचार राजा हिनपति करैय
सुन सुन सुनलह हौ भैया
चोरबा रहितै पकड़ल जइतै
हा नै नै चोरबा पोखरिमे अयलऽ
तखनी राजा हिनपति मालि कहैय
हा जे कोइ अयल हौ परबा पोखरिमे
चोरबा बनि कऽ मोरंग से जयबह।
नाम हँसी मोरंगमे हेतऽ
सतयुग छीयै कलयुग अऔतै
कलयुगमे नै नाम ने चलतह।
अपन सत के आइ देवता जना दीयौ हौ।
हौ दियौ दरशन नरूपिया परबा पोखरियामे-2