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हौ एत्तेक बचनियाँ देवता सुनै छै / मैथिली लोकगीत

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मैथिली लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

हौ एत्तेक बचनियाँ देवता सुनै छै
मनमे विचार सीरी नरूपिया करै छै
आ घरनी भऽ के एत्तेक बात कहै छै
तबे जवाब हौ नरूपिया दै छै
सुनऽ सुनऽ हौ सती दुलहिनियाँ
सतखोलियामे बहिन बसै छै
जादूगीरनी सहोदरी लगै छै
जादू के खेती तीसीपुर हाइ छै
जल्दी मँगा के बहिनीयाँ के लाबि दीयौ गै।
हौ एत्तेक बात जे दादा बोललकै
तबे जवाब साँमैर जे देलकै
सुनऽ सनऽ हौ सुग्गा हीरामनि
जल्दी जइयौ सतखोलियामे
सबे बात ननदिया के कहिबौ
जल्दी मँगा के ननदि के आइ
लाबि दीयौ यौ।।
हौ भागल हीरामनि सतखोलियामे जाइ छै
घड़ी के चललै पहर बीतै छै
पले घड़ी सतखोलिया जुमि गेलै
बैठल बनसप्ति महल घरमे।
सबे बात आइ सुगना कहैय
दुःख वरनन बनसप्ति सुनैय।
आ तेकरे बात पर जतरा रानीयाँ बना देलकै यौ।
हौ एते सुनि वनसप्ति चलै छै
घड़ी चलै छै पहर बीतै छै
पले घड़ी महिसौथामे जुमि गेल।
झूकि आइ सलाम देवता के करै छै
दोसर वंदगी भौजी के करै छै
तबे जवाब वनसप्ति दै छै
सुनऽ सुनऽ हे भौजी सुनियौ
कोन जरूरी पड़ि गेलैय
तबे जवाब साँमेर दै छै
सुनि यौ अय दइया दिल के वार्त्ता
बौआ मोती के लड़की खोजलियै
तीसीपुर आइ लड़की जनमलै
मुनीसिंह के बेटी लगै छै
कुसुमावती जे नाम लगै छै
बौआ जोकर लड़की लगै छै
ओकरे पर हजमा के भेजली
बान्हल गेलै हजमा ओहिठाम
दोसर समधिया यार जी
ओहो बान्हल आइ तीसीपुरमे गयलै यै
तइ पर से भगीना गेलै
पाछु से देवरा मोती गयलै
बल के लड़ाइ नै तीसीपुरमे लड़ै छै
जादू के खेती तीसीपुरमे होइ छै
जतेक के भेजै छै तीसीपुरमे
सबे बान्ह तीसीपुरमे लइ छै
आ तहि के कारणमा दइया अहाँ के बजौलीयै यै।।