मैथिली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
हौ एत्तेक बात मलीनियाँ सब सुनै छै
रास्ता धेलकै मानिकदह के
दुर्गा भागल महिसौथा जाइ छै
घड़ी के चललै पहर बीतै छै
पले घड़ी महिसौथा जुमि गेल
श्री सलहेस के खेल चढ़ाबै
सुनिले देवता श्री नरूपिया
चल चल बौआ मानिकदहमे
जहदी बागमे फूल बेटा तोड़ीहऽ
ओतऽ स्नान आय लिखैय
मानिकदह दुलरा जखनी चलियौ रौ।।
एत्तबे वचनियाँ देवता सुनै छै
भौरानंद हाथी के हौदा कसैय
सुग्गा हीरामनि बड़ छलबुधिया
छबे दिन आगू-पाछु सुगा जनै छै
पिंजड़ा से आइ हीरामनि बोलैय
सुनऽ सुनऽ हौ राजा दरबी
तोरा कहै छी दिल के वार्त्ता
पाँच बहिनियाँ मोरंगसँ झरलऽ
मानिकदहमे डेरा गिरौलकऽ
जखनी जेबऽ मानिकदह पर
मारतऽ जादू सुग्गा बनौतऽ
सुग्गा बना पिंजड़ामे रखतऽ
जे पिंजड़ा मोरंगमे जयतऽ
युग युग राज मलीनियाँ देवता भोगतऽ हौ।।