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हौ एत्तेक बात मोती जेलमे कहै छै / मैथिली लोकगीत
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मैथिली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
हौ एत्तेक बात मोती जेलमे कहै छै
हा दुर्गा मैया सुमिरन करै छै
पवन रूपमे दुर्गा जुमि गेल
जेल के घरमे दुर्गा जुमलै
हा हाक लगाकऽ योगिनियाँ बोलै छै
सुनऽ सुनऽ हौ मोती खलीफा
हौ घड़ी राति बोन अइगली बीतलै
घड़ी राति बोन पैछली बीतलै
गाम-गाममे पहरा पड़ै छै
गीदड़ भालू गुड़गुड़ी मारै छै
सन सन सन सन गोला उठै छै
सुखल डारि पर कागा बोलै छै
पैछली राति करनीनियाँ भेलै
आ किया कारणवाँ दुलरबा तऽ हमरा बोलबलह हौ।
तेकरो हलतिया हमरा कहियौ
किया कारण एतऽ बौआ बोलौलियै यौ