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हौ एत्तेक वचन रानीयाँ से करै छै / मैथिली लोकगीत

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मैथिली लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

हौ एत्तेक वचन रानीयाँ से करै छै
हा ताली मारै छै परबा पोखरि मे
सुन गै फुलवंती बहिना सुनिलय
गै सबके दिन सुदिन नइ भयलै।
तोहर दिन सुदिन आइ भयलौ
कोन दने चोरबा सेन्दुरबा देलकौ
सत भगन पोखरिमे भयलौ
मने मन विचार फुलवंती करैय
जुलुम बीतलै परबा-पोखरिमे
हा कोन चोरबा पोखरिमे अयलै
सत भगन फुलवंती भऽ गेल
किया आइ जवाब आइ बाबूजी के देबै यौ।।
हम कौने जवाब बाबूजी के दयबै।
हा जुलुम बीतलै परबा पोखरिमे।
तब रानीयाँ करूणा करैय
बाबू के नाम से चीठी लिखैय
सुन गे बहिनी गय बहिन बहिनपा
हा हम नइ जनलीयै गै बहिन सभ
केनाकऽ चोरबा एलै पोखरिमे
गै कोन डकैतबा पोखरियामे अयलऽ
कखनी गै माँग सिन्दुर चोरबा धेलकै
हमर सत भगन आइ भऽ गेल
से जाकऽ खबरिया हमरा बाबू के दइहौ गै।।
गे जाकऽ खबरिया बाबू के करीयौ
जखनी बाबू हमरो अयतै
घाट-घाटमे चोरबा के घेरतै
हा एत्तेक बात रानी फुलवंती कहैय
अँचरा बान्हि के कागज बनौलकै
कजरा के मोसिहानि बनाऽ कऽ
अलग अलग बात जे लिखै
बीचमे सात सलामी लिखै
सुनऽ सुनऽ हौ राजा दरबी
हौ केली स्लान आइ परबा-पोखरिमे
आय चोरबा एलऽ एही दहमे
हा चोरबा बनि के माँग छुबलकै
टिकिया सेन्दुर माँगमे देलकऽ
सतन भगन हमरा भऽ गेलऽ
हौ एत्तेक वरणन चीठीमे लिखैय
रचि-रचि चीठी फुलवंती लिखैय
हा सात सहेली के साथमे जइयौ
भागल सहेलिया आय परबा पोखरि से चलि देलकै यौ।।