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हौ एत्ते बात कुल्हेसर बोलैय / मैथिली लोकगीत

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मैथिली लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

हौ एत्ते बात कुल्हेसर बोलैय
तबे जवाब रानी चन्द्रा दै छै
सुनऽ सुन हौ बाबू सुनि लय
संगमे मुंगीया नौरीन छीयै
हा नौरीन लऽकऽ जेबै बागमे
फूल तोड़ि फुलवाड़ी लौबै।
शिव मंदिरमे पूजा करबै
मनसे पूजा हमहुँ करबै।
बात सुनि राजा ऑडर दऽ देलकै यौ।।
हौ भागल चन्द्रा फूलबगिया जाइ छै
जब चन्द्रा अधपेरिया जुमि गेल
अधराबाट फुलवाड़ीमे जुमि गेल
चारू भर नजरिया हौ चन्द्रा खिराबै छै
हा जेहे पुरूष्ज्ञ पर अँचरा बन्हलीयै
मैया दुर्गा के बात हम केलीयै
सेहो पुरूषवा नइ फुलबिगयामे मिलै छै हौ।
हौदेवता नरूपिया हौ बगियामे बैठल
आ अग्नि परान देवता के छेलै
तइयो ने सती चन्द्रा चिन्हलकै
हौ रस्ता बैठने ठेसा मारलकै
हा तब नजरिया चन्द्रा के पड़ै छै
मनमे चन्द्रा सोचै छै
कोने पगलबा फुलवाड़ीमे एलै
पल नइ तकै छै कुछ नइ बोलैय
स्वामी रहितै स्वामी नरूपिया
मुँहसे आवाज स्वामी दइतै
जो गै बेइमनवी केना हमरा ठकि लेलय गै।।
हौ तब चन्द्रा बोली बोलइ छै
हा सुन गे देवी दरशन दीयौ
तोरे बात पर फुलवाड़ी एलीयौ
कहाँ हमर स्वामी फुलवाड़ीमे अयलै
तेकरो हलतिया मैया हमरा की बता दीयौ गै।
तब दुर्गा, चन्द्रा के कहैय
हा सुन गे अभगली रानी चन्द्रा
जहि पुरूष के ठेसा मारलही
गै सेएह पुरूष नरूपिया लगै छै
सत के देवता नरूपिया खामिन
पल नै तकैय मुँह ने बजै छै
इएहे पुरूष आय नरूपिया देवता लगै छै गै।।
हौ तब चन्द्रा धरि कऽ गेलैय
कतबो बजबै छै सीरी सलहेस के
पल नै तकै मुख नै बोलइ छै
कतबो कहलकै बात नै मानलकै
चन्द्रा ऊपरमे नै पल उठाबैय
मने मन आइ नरूपिया सोचैय
सुनले मैया दुर्गा सुनिलय
भल नइ हेतौ राज महिसौथा
केना खेतवा हमरा दुर्गा चढ़ा देले गय।।
गै आब नै सत हमरा बचतै पकरिया
केनाकऽ जेबै राज महिसौथा
त्रिया वशमे देवता पड़ि गेल
एको बेर जवाब नरूपिया देवता ने दै छै गै।।
तब चन्द्रा कोन काम करै छै
चीठी लिखै छै रानी चन्द्रा
हौ अगल बगल सी नामा लिखै
अँचड़ा फाड़ि कय कागज बनौलकै
कजरा के मसिहान बनाके
फुलबागमे चीठी लिखैय
सुन सुन हौ बाबू सुनिलय
फूल तोड़ैलय बागमे एलीयै
चोरबा जुमि गेल फूल बागमे।
जल्दी से अबियौ आ चोरबा के पकड़ि लियौ यौ।
हौ चीठी लिखकऽ चन्द्रा भेजै छै
सभा लागल राजा ड्योढ़ीमे
राजा कुल्हेसर ड्योढ़ीमे छेलै
झूकि सलाम मुंगीया नौरीन करै छै
सोझामे चीठी नौरीन फेर देलकै यै।।
हौ तइयो नै नरूपिया जवाब दै छै
हा एको बेर पल नै देवता उठाबै छै
मुख नै बजै छै फुलबगियामे
मने मन नरूपिया बात सोचै छै
हाय नारायण हाय विधाता
हे ईसबर जी जुलुम बीतैय
सतयुग छीयै कलयुग अऔतै
हा पर त्रिया के केना बजेबै
केना बात चन्द्रा से करबै
कलयुग नाम नै नरूपिया के नै चलतै यौ।
हौ राजा कुल्हेसर के खबर गयलै
सात सय पलटन ड्योढ़ी से एलै
फुलबगिया के पलटनियाँ धेरैय
चोरबा पकड़ि के आय बगिया से लऽ गेलै यौ।