Last modified on 10 अगस्त 2016, at 09:10

हौ ओतऽ से जतरा नरूपिया केलकै / मैथिली लोकगीत

मैथिली लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

हौ ओतऽ से जतरा नरूपिया केलकै
गाँजा पीकऽ मन भकुऔने
ड्योढ़ी पर ने देवता एलै
गाँजा पीकऽ हौ ड्योढ़ी पर सुतै छै
मने मन नरूपिया सोचै छै
भोर भेलै भिनसरबा भऽ गेल
चोरबा बेरिया टैरि ने गेलै
कोइ आय नै दुश्मन पकरियामे नै अयतै यौ।।
हौ चोरबा भागल मोकमा जाइ छै
घड़ी चलैय पहर बीतै छै
पले घड़ीमे गंगा लग एलै
सुखले हौ गंगा जल बरसौलकै
बिना जल के जल बहैय
रस्ता रोकि चुहरा के देलकै
तखनी चुहरा विचार करैय
तखनी चुहरा मने मन सोचै छै
केना पार हम सिमरिया हेबै
केना भागि कऽ मोकमा जेबै
केना हम पार गंगा हमरा कऽ देबै यौ।
बुढ़िया रूप मैया गंगा धेलकै
आगू से रास्ता चुहरा रोकैय।
सोना के चरखबा चुहरा हमरा
दऽ दीयौ यौ।।