मैथिली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
हौ घड़ी चलै छै पहर बीतै छै
पले घड़ीमे जुमि जब गेलै
आगू-आगू हौ नरूपिया चललै
पाछु भऽ के बनसप्ति चललै
जुमि जब गयलै तीसीपुरमे
हौ सात सय पलटन ड्योढ़ी पर खटै छै
आ तहि समयमे देवता जुमि गेल
हा ड्योढ़ी परमे नजरिया पड़ि गेल
तबे आइ जवाब देवता करै छै
सुन गै बहिनियाँ गै दिल के वार्त्ता
हा सात सय पलटन ड्योढ़ी पर गै खटै छै
हमरा नाम आय हँसी जब भऽ जेतै गै।
हौ तबे जवाब बनसप्ति दै छै
सुनि लय सहोदरा हौ दिल के वार्त्ता
जहिना बान्ह चन्डालवा बन्हलकै
तहिना बान्ह तू राजा के बन्हिहऽ।